चीनी दीवाली

वर्षों से हम सब दीपावली के दिन चीनी दीवाली ही तो मनाते आये है। मिट्टी से बने हुए तेल और घी के दीपकों की जगह बाहर देशों से आयी हुयी झालरों ने ले ली है। जिसने गरीब कुम्हारों का तो जैसे दीवाली मनाने का हक ही छीन लिया हो जिनके बनाये हुए दीयों से कभी दूसरों के घर रोशन हुआ करते थे। हमनें तो दीयों की जगह विद्युत झालरों को दे दी पर वो कुम्हार इतना धन कहा से लाये कि अपनी दीवाली मना सके।

पिछले कई वर्षों से चीन भारत देश में अपना हर प्रकार का माल निर्यात करता आया है। चीन इस तरह भारतवर्ष के उद्योगों को बहुत क्षति पहुंचा रहा है। आज तो कोई भी भारतीय त्यौहार बिना चीनी माल के मनाया ही नहीं जाता फिर चाहे वो दीवाली की झालरें और पटाखें हो या फिर होली के रंग। लोग चीनी माल को सस्ते होने की वजह से उपयोग में लाते है। बात सच भी है हर कोई कम पैसो में खरीदारी करना चाहता है। लेकिन अगर इस बात पर गहन विचार किया जाये और बातों पर अमल किया जाये तो उतने ही पैसो में हमारे देश में भी वही सामान बनाया जा सकता है। बस इन सब के लिए सभी भारतवासियों को दूसरे देशों के निर्यातित माल को खरीदना बंद करना होगा और अपने देश में बनी हुयी चीजों को खरीदकर यहाँ के उद्योगों को मजबूत बनाना होगा। जब अधिक मात्रा में माल का उत्पादन होगा तो चीज़े सहज ही सस्ती मिलेगीं।

इस दीवाली मोदी सरकार ने मेक इन इंडिया की तर्ज़ पर बहुत ही उचित कदम उठाया है। सरकार ने दीवाली के लिए बिकने वाले विदेशी पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया है। जिससे की भारत के लोगों को व्यापार के अवसर मिल सके और भारतीय उद्योगों का विकास हो सके। सरकार ने विदेशी पटाखों को रखने और बेचने वालों के लिए दंड का भी प्रावधान किया है। औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग द्वारा लोगों को विदेशी पटाखों की बिक्री के बारें में अपने नजदीकी पुलिस थाने में सूचना देने का अनुरोध किया गया है।





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