पत्थर टाकनें वाला भूत

कुछ दिनों पहले एक अजीबों गरीब घटना के बारें में सुना। कि कोई रातों रात सिल और चकरी टांक रहा है। सुन कर यकीन तो नहीं हुआ लेकिन फिर जब अपने घर में भी यही मंज़र देखा तो इनकार करना थोड़ा मुश्किल सा हो गया। लेकिन फिर भी मन में एक जिज्ञासा थी कि आखिर ऐसा कैसे हो सकता है वो भी एक दो जगह नहीं बल्कि हर तरफ से यही बातें सुनने को मिल रही थी।

हर अखबार में इसके किस्सों की भरमार थी। लोगो ने तो अपने हिसाब से अलग अलग मनगढ़ंत कहानियाँ भी बनानी शुरू कर दी। लोग ऐसी ही फ़िराक में तो रहते है कि कब ऐसी परिस्थिति आये तो वे अपनी कहानी लेखन की कला को थोड़ा धार दे सके। कोई कहता कि भूत कर रहा है ऐसा, कोई कुछ तो कोई कुछ। मेरे दिमाग में भी घूम घूम कर बस एक ही सवाल आता कि आख़िर ऐसा कौन कर सकता है पर जवाब कुछ भी न था।

ऐसे ही कुछ दिन गुज़रते गुज़रते ये खबरें भी ठंडी पढ़ने लगी। फिर अचानक ही सच सबके सामने आ गया। मुझे तो लगा था कि काफी बड़ा सच होगा भूत के जितना बड़ा। पर ये क्या ये सच तो अनुमान से भी ज्यादा छोटा निकला। बस एक कीड़े के आकार जितना। जी हाँ ये एक कीड़ा ही तो था जिसका नाम वैज्ञानिकों ने स्टोन बीटल बताया है। दरअसल ये सब इसी कीड़े का कमाल था। जो बरसात के दिनों में नम स्थानों में पाया जाता है। इसे काफी समय से रखे पत्थरों पर जमी हुयी धूल में छुपे हुए कीटाणुओं को खाने में बड़ा आंनद आता है। जिसकी वजह से ही पत्थरों पर खरोंच जैसे निशान बनते चले गए। वो तो बेचारा अपनी भूख मिटा रहा था और लोगो ने उसे भूत साबित कर दिया।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

नारी सहमति

नशीला संगीत